Thursday, November 20, 2008

तेरे दिल से मेरे दिल का रिश्ता क्या ...

तेरे दिल से ,मेरे दिल का रिश्ता क्या ।
तू मिलती, ना मैं मिलता, फ़िर मिलता क्या ॥

सोंच रहा ,क्यूँ तेरा ऐसे नाम लिया ,
याद है अब भी भूलता फ़िर तो भूलता क्या ॥

वो फलक जो दूर तलक जा मिलता है ,
जाता मैं तो वो वहां फ़िर मिलता क्या ॥

याद है आब भी तेरी सांसों की गर्माहट ,
राख हुआ था जलने को अब जलता क्या

वर्षो पहले एक चमन होता था अपना ,
एक भी फुल अब "अर्श"वहां है खिलता क्या ॥

प्रकाश "अर्श"
२०/११/२००८

No comments:

Post a Comment

आपका प्रोत्साहन प्रेरणाश्रोत की तरह है ... धन्यवाद ...