ग़म , आंसू , दर्द
यही सारे है
हमदर्द मेरे ।
मिले हैं मुफ्त तो
मुझको
सस्ती - सस्ती तन्हाई ॥
मेरा खजाना तुम गर पूछो
बस उम्र- भर
की
बेवफाई
प्रकाश "अर्श "
१०/११/२००८
यही सारे है
हमदर्द मेरे ।
मिले हैं मुफ्त तो
मुझको
सस्ती - सस्ती तन्हाई ॥
मेरा खजाना तुम गर पूछो
बस उम्र- भर
की
बेवफाई
प्रकाश "अर्श "
१०/११/२००८
No comments:
Post a Comment
आपका प्रोत्साहन प्रेरणाश्रोत की तरह है ... धन्यवाद ...