Tuesday, December 30, 2008

दरिया है वो प्यासा है वो देखो नकाब में ...

चेहरा छुपाए रख्खा है वो देखो नकाब में ।
कातील है फ़रिश्ता है वो देखो नकाब में ॥

कत्ल करता है ऐसे के पता भी ना चले ,
जख्म देता है गहरा है वो देखो नकाब में ॥

हमसे रूठा है ये सितम है या अदा उसकी
जैसा भी है अच्छा है वो देखो नकाब में ॥

नाजुक लबों से उसके मोहब्बत की सदा सुन
जिन्दा हूँ के आया है वो देखो नकाब में ॥

मैं हूँ इस बात पे खामोश तू उसकी सब्र देख
दरिया है वो प्यासा है वो देखो नकाब में ॥

एक बेकली है जो दफ़न है"अर्श"मेरे सीने में
एक खलिश है के तड़पता है वो देखो नकाब में ॥

प्रकाश "अर्श"
३०/१२/२००८

1 comment:

  1. एक बेकली है जो दफ़न है"अर्श"मेरे सीने में
    एक खलिश है के तड़पता है वो देखो नकाब में ॥


    apki tarif ke liye apka kafiya chura raha hoon, Asha hai bura nahi maanaeinge:

    kya kya chupa hai jadugar tiri is potli mein,
    kitne chereh behroopiya hei,wo dekho nakab mein?

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणाश्रोत की तरह है ... धन्यवाद ...