Tuesday, December 23, 2008

घर तक आए है तमाशाइयां ...

मैं हूँ तू है, और है तन्हाईयां ।
दिल है धड़कन और अंगडाइयां ॥

मौसम भी है,कुछ दिल बेबस
दिल कहता है कर बेईमानीयाँ ॥

देखो तमाशा ना बन जाए कहीं
घर तक आए है तमाशाइयां ॥

तेरी आँखें तो है दोनों जहाँ
इस दो जहाँ पे है कुरबानीयाँ ॥

जुल्फ तेरे है यूँ घटावों जैसी
हुस्न से है तेरे रोशानाइयां ॥

तेरी नजाकत तेरी हया भी
कर देगा"अर्श"फ़िर रुस्वाइयां ॥

प्रकाश "अर्श"
२३/१२/२००८

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