Tuesday, January 6, 2009

आप ही कन्धा आप ही जनाजा ...

पुरानी रंजिश को हवा दीजे ।
फ़िर वही सूरत दिखा दीजे ॥

आज मजबूर-ऐ हालात दिल है
मर ही जाने का हौसला दीजे ॥

हाथ में चार पैसे है बचे अब
ना कहना चाँद-तारे ला दीजे ॥

मैं ग़लत हूँ मुजरिम हूँ अगर
मुझको फंदे पे लटका दीजे ॥

आखिरी ख्वाहिश भी छुपा लूँगा
आप जल्दी से दफना दीजे ॥

आप ही कन्धा आप ही जनाजा
"अर्श"कब्र का रास्ता दिखा दीजे॥


प्रकाश"अर्श"
०६/०१/२००९
आप =मैं ख़ुद ,

3 comments:

  1. आज मजबूर-ऐ हालात दिल है
    मर ही जाने का हौसला दीजे ॥
    मरने के लिये भी क्या प्रेमिका से हौसला लेंगे यार ???

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  2. हाथ में चार पैसे है बचे अब
    ना कहना चाँद-तारे ला दीजे ॥


    javed akhatar saab ki nazm yaad aa gayi...

    ....kaunsi ya ap jante honge ! hai na?

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  3. bahut badiya bahut aache se shabdo me jaan dal dete haa aap........

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आपका प्रोत्साहन प्रेरणाश्रोत की तरह है ... धन्यवाद ...