Sunday, February 1, 2009

तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ ...

आप सबके सामने एक गीत नज़्र कर रहा हूँ ,जो मूलतः पहली गीत है इस ब्लॉग पे मेरी ।गलती के लिए मुआफी चाहूँगा ....


तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।
तेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥

नहीं के हमें दिल लगना नही था
गली हुस्न की हमको जाना नही था
बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
तेरे ख्वाब ही .......

अभी दिल हमारा धड़कना था सिखा
तुम्हारी नज़र से बचाना किसीका
मैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन ........

हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ....


प्रकाश"अर्श"
०१/०२/२००९

62 comments:

  1. सुन्दर गीत है।बधाई स्वीकारें।

    ReplyDelete
  2. अच्छी रचना है अर्श जी

    ReplyDelete
  3. सुन्दर रचना है.बधाई

    ReplyDelete
  4. भाई अर्श जी,

    इस भार आपका ये भाई तो आपके ग़ीत से खुश नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि आप ग़ज़ल जैसे प्रभावी क्षेत्र के साथ गीत में भी अपना योगदान देने की ललक रखते हैं मगर इस गीत में "अर्श" के तेवर नहीं है। बर्तनी की कुछ ग़लतियाँ भी है हो सके तो सुधार लें। मैं आपको दिल से प्यार करता हूँ और दिल से अपनी राय रखना मैं अपना अधिकार समझता हूँ। उम्मीत है कि अर्श भाई अगली बार पुराने तेवरों के साथ नज़र आएंगे।

    ReplyDelete
  5. नहीं के हमें दिल लगना नही था
    गली हुस्न की हमको जाना नही था
    बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
    तेरे ख्वाब ही .......

    wah..wah...!! bhot khoob... bhot hi accha laga aapka geet Arsh ji ...BDHAI..!!

    ReplyDelete
  6. हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
    तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
    है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥

    बहुत ख़ूब, बहुत बढ़िया लिखा है।
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  7. बहुत अच्छा गीत लिखा है आपने।

    ReplyDelete
  8. गीत सुंदर होने की कोशिश मैं काफी सफल हुआ है तथापि प्रकाश जी बदल साहेब की सलाह पर ध्यान अपेक्षित है

    ReplyDelete
  9. हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
    तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो

    ReplyDelete
  10. तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।
    तेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥
    आपने जो नज्म पेश किया है वह तारीफ के लायक है । नज्म का हर हिस्सा पढ़ने में बहुत अच्छा लगा इसी तरह लिखते रहिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  11. भाई कहाँ खो गये, हम तो आपकी नई रचना पर नज़र लगाए बैठे हैं, लौट आओ>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>..

    ReplyDelete
  12. अच्छा प्रयास है. जारी रखें.

    ReplyDelete
  13. नहीं के हमें दिल लगना नही था
    गली हुस्न की हमको जाना नही था
    बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
    ... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है।

    ReplyDelete
  14. अर्श भाई कब आओगे नई रचना के साथ>>>>>>>>>>>>>>>>>

    ReplyDelete
  15. आपका गीत पढकर लहू की रवानी बढ गयी।

    ReplyDelete
  16. अर्श जी,

    अपके गीतों में अक्सर मैं सुरों को तलाशता हूं, क्या करूं कुम्हार की नज़र तो मटके पर और नाई की नज़र जूतों पर ही जायेगी.

    आपकी हर कविता में गेयता की खासियत है, तो मेरी नज़र में कविता या गज़ल के अर्थों के साथ मन में उतरने के लिये एक आसान रास्ता अपने आप ही बन जाता है.

    मैं कल मसक्कली सुन रहा था, कोइ शब्दों के आदि से अंत तक का पता नहीं चला. इसलिये ये भी कहना चाहूंगा कि गीत की आत्मा तो उसका कंटेंट ही है, जिसके सिवा पूर्णता नहीं.दोनो मिल कर रसोत्पत्ती के अंतिम चरण तक पहूंचा जा सकता है.

    ReplyDelete
  17. भाई प्रकाश जी
    बहुत सुन्दर प्रयास.आपके लेखने के लिए सुनहरे भविष्य के प्रति आश्वस्त करता हुआ. भाई दिलीप कवठेकर जी ने जो कहा है,उस पर गम्भीरता से विचार कीजिये.रचना को रसोत्पत्ति के योग्य बनाने के लिए, श्रोता को, पाठक को अपने दिल की अतल गहराइयों से वाकिफ़ करवाने के लिए, मुझे विश्वास है
    आप और भी निखर कर सामने आएँगे, और इसके लिए अभी जो आप कह रहे हैं बहुत ज़रूरी है,महत्व का है.



    सस्नेह

    dwijendradwij.blogspot.com

    ReplyDelete
  18. हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
    तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
    है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
    वाह...वा...अर्श जी ...आपका पहला प्रयास बहुत प्रशशनिय है....परबत एक छलांग में तो लांघे नहीं जा सकते...एक एक कदम उठाना पढता है...चलते रहिये....याने लिखते रहिये...ऐसे ही...शुभकामनाएं.
    नीरज

    ReplyDelete
  19. अब अगली रचना कब पढवाएंगे।

    ReplyDelete
  20. बहुत खूब....बहुत सुन्दर गीत है..बधाई !!

    ReplyDelete
  21. BAHUT BADIYA LIKHA HAI. EK EK SHABD BAHUT ACCHA HAI. MERI SHUBHKAMNAYE APKE SATH HAI.

    ReplyDelete
  22. bahut din baad apke blog par aayee hoon hamesha ki tarah sunder rachna hai holi mubarak ho nayee rachna kaa intjaar rahega

    ReplyDelete
  23. Bhai Arsh ji,
    Geet ka bhav paksh achchha hai shabda bhi achchhe chune hain lekin chhand vidhan ke anusaar geyata men kuchh kami rah gai hai use sudharane ki jaroorat hai. Vyakaran aur matraaon ka bhi kahin kahin dosh rah gaya hai.
    Ise sudharane par ek achchh geet banega. Bahut bahut badhai aur Holi ki shubh kaamnaayen.
    Chandrabhan Bhardwaj

    ReplyDelete
  24. आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
    regards

    ReplyDelete
  25. होली के शुभ अवसर पर,
    उल्लास और उमंग से,
    हो आपका दिन रंगीन ...

    होली मुबारक !
    'शब्द सृजन की ओर' पर पढें- ''भारतीय संस्कृति में होली के विभिन्न रंग''

    ReplyDelete
  26. होली की ढेर सारी शुभकामनायें....

    ReplyDelete
  27. अर्श जी, आपको होली की सपरिवार शुभकामनाये,,,,,,
    पर्दा अपने नाम से उठा , आँख लडाई लोगों ने,,,,,बेहद हसान शेर लिख कर आ रहे हैं आप,,,,आपके टेस्ट की दाद देता हूँ,,,,,,

    ReplyDelete
  28. Ars ji aap ki poora blog padha . Accha laga....
    Bus dukh ya hua ki main is blog ko pehle follow kar raha that par ab meri follow list se na jane kahan gum ho gaya?....
    ..chaliye koi baat nahi der aayad !! Durust aayad !! Phir se aayad !!
    :)

    aur jahan tak is nazm ka sawal hai 'arsh ji' , ye to aap jante hai ki har ek nazm 'bahut badiya' nahi ho sakti....
    kher main sabhi post main alag -alag comment kar raha hoon....
    apko purne comments padhne ka mauka mile to nazar zaaror daliyega.
    p.s. :Mere blog main aane heto shukriya, isliye nahi ki aapne comment kiya, isliye ki apse phir se jud gaya....

    ReplyDelete
  29. धन्यवाद , होली की आपको बहुत-बहुत बधाई
    geet likhne kee shuruvaad hai ye to , bahut achchha likha hai , bhaav samajh mein aate hain | aapke to itne chahne vaale hain , tippnian dekhiye ?
    with best wishes

    ReplyDelete
  30. अरे भाई........ऊपर जितनी भी टिप्पणियाँ हैं आई.......वो सब मैंने ही हैं लिखवायीं.....सबके दिलों में घुसकर मैंने ही कलम चलवाई.......अब मेरे पास शब्द नहीं हैं भाई.....क्या खूब करते हो तुम कविताई....मेरे दिल में फैल जाती है....प्रकाश की रोशनाई......!!

    ReplyDelete
  31. hi......ur blog is full of good stuffs.it is a pleasure to go through ur blog...

    by the way, which typing tool are u using for typing in Hindi...? recently i was searching for the user friendly Indian language typing tool and found ... " quillpad " do u use the same...?

    heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration...!?

    expressing our views in our own mother tongue is a great feeling...save, protect,popularize and communicate in our own mother tongue...

    try this, www.quillpad.in

    Jai..HO....

    ReplyDelete
  32. Beautiful composition!
    Last stanza bahut bha gaya ...!

    Thanks for joining thatCoffee.
    My new blog's link is -

    http://parastish.blogspot.com/

    God bless
    RC

    ReplyDelete
  33. मीत हो जाए गीत जीवन में

    जीत ही जीत मिले जीवन में

    अच्छा प्रयास है ,निरन्तरता बनाये रखें

    ReplyDelete
  34. अच्छा प्रयास है. जारी रखें.

    ReplyDelete
  35. Bhut achi rachna
    ek dam napa tula geet
    dhanyabad is geet ke liye

    ReplyDelete
  36. बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने !

    ReplyDelete
  37. बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने ......
    एक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।

    ReplyDelete
  38. aapki har rachanaa dimaag men koi na koi halchal jagaa jaati hai --
    dhanywaad aapki is rachanaa ke liye .

    ReplyDelete
  39. हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
    तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
    है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ
    मैं आपकी ब्लॉग पर पहली बार आई हूँ, और खुद को धिक्कार रही हूँ...
    बहुत खूबसूरत लिखते हैं आप..

    ReplyDelete
  40. Brother really great!
    Kya khub likha hai.

    ReplyDelete
  41. arsh bhaiya guddo morning...............
    or kaise hai pachane.
    http://sameerpclab2.blogspot.com/

    ReplyDelete
  42. श्री अर्श जी!
    आपने इस गीत को ग़ज़ल के अनुसार ढ़ाला है। आपका यह पहला गीत है। इस दृष्टि से आप अपने प्रयास में सफल भी हैं। यूँ तो गीत में सुझाव अनेक हैं परन्तु गीत के दूसरे चरण की ऒर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।
    हिंदी गीतों में तुकान्तों का प्रयोग अकारांत इकारांत उकारांत आदि उसी वजन के अनुकूल रखे जाते हैं। यथा -गवांरा, किनारा, उबारा, निहारा, आदि।

    इस तरह से उस चरण का एक रूप ऐसा भी हो सकता है-
    अभी हो नहीं पायीं खुशियां गवांरा,
    अभी कर लिया तुमने मुझसे किनारा,
    मैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥
    तुम्हें रात दिन ........
    आगे फिर कभी...................
    सद्भावी--डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  43. देवी महालक्ष्मी कि कृपा से

    आपके घर में हमेशा...

    उमंग और आनंद कि रौनक हो ..

    इस पावन मौके पर आपको...

    पावन पर्व दीपावली कि हार्दिक..

    सुभ कामनाये....

    ReplyDelete
  44. for more hindi poems and ghazals, please visit http://nicehindipoems.blogspot.com/

    ReplyDelete
  45. for more hindi poems and ghazals, please visit http://nicehindipoems.blogspot.com/

    ReplyDelete
  46. है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
    तुम्हे रात दिन .....
    तेरे ख्वाब ही अक्सर ....
    bahut achchi lagi.....

    ReplyDelete
  47. बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
    बहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
    पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
    धन्यवाद्
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/

    ReplyDelete

आपका प्रोत्साहन प्रेरणाश्रोत की तरह है ... धन्यवाद ...