आप सबके सामने एक गीत नज़्र कर रहा हूँ ,जो मूलतः पहली गीत है इस ब्लॉग पे मेरी ।गलती के लिए मुआफी चाहूँगा ....
तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।
तेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥
नहीं के हमें दिल लगना नही था
गली हुस्न की हमको जाना नही था
बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
तेरे ख्वाब ही .......
अभी दिल हमारा धड़कना था सिखा
तुम्हारी नज़र से बचाना किसीका
मैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन ........
हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
तुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
तुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ....
प्रकाश"अर्श"
०१/०२/२००९
Sunday, February 1, 2009
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सुन्दर गीत है।बधाई स्वीकारें।
ReplyDeletebahut khoob sundar geet.
ReplyDeleteअच्छी रचना है अर्श जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना है.बधाई
ReplyDeleteभाई अर्श जी,
ReplyDeleteइस भार आपका ये भाई तो आपके ग़ीत से खुश नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि आप ग़ज़ल जैसे प्रभावी क्षेत्र के साथ गीत में भी अपना योगदान देने की ललक रखते हैं मगर इस गीत में "अर्श" के तेवर नहीं है। बर्तनी की कुछ ग़लतियाँ भी है हो सके तो सुधार लें। मैं आपको दिल से प्यार करता हूँ और दिल से अपनी राय रखना मैं अपना अधिकार समझता हूँ। उम्मीत है कि अर्श भाई अगली बार पुराने तेवरों के साथ नज़र आएंगे।
नहीं के हमें दिल लगना नही था
ReplyDeleteगली हुस्न की हमको जाना नही था
बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
तेरे ख्वाब ही .......
wah..wah...!! bhot khoob... bhot hi accha laga aapka geet Arsh ji ...BDHAI..!!
sunder rachna . badhai
ReplyDeleteहमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
ReplyDeleteतुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
बहुत ख़ूब, बहुत बढ़िया लिखा है।
धन्यवाद
बहुत बढ़िया...आभार..
ReplyDeleteबहुत अच्छा गीत लिखा है आपने।
ReplyDeleteArsh ji,
ReplyDeletebahut badhiya geet.badhai.
are kahan ho bhai.
ReplyDeleteसुन्दर गीत!
ReplyDeleteगीत सुंदर होने की कोशिश मैं काफी सफल हुआ है तथापि प्रकाश जी बदल साहेब की सलाह पर ध्यान अपेक्षित है
ReplyDeleteहमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
ReplyDeleteतुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।
ReplyDeleteतेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥
आपने जो नज्म पेश किया है वह तारीफ के लायक है । नज्म का हर हिस्सा पढ़ने में बहुत अच्छा लगा इसी तरह लिखते रहिए धन्यवाद
भाई कहाँ खो गये, हम तो आपकी नई रचना पर नज़र लगाए बैठे हैं, लौट आओ>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>..
ReplyDeleteअच्छा प्रयास है. जारी रखें.
ReplyDeleteनहीं के हमें दिल लगना नही था
ReplyDeleteगली हुस्न की हमको जाना नही था
बना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥
... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है।
अर्श भाई कब आओगे नई रचना के साथ>>>>>>>>>>>>>>>>>
ReplyDeleteआपका गीत पढकर लहू की रवानी बढ गयी।
ReplyDeleteअर्श जी,
ReplyDeleteअपके गीतों में अक्सर मैं सुरों को तलाशता हूं, क्या करूं कुम्हार की नज़र तो मटके पर और नाई की नज़र जूतों पर ही जायेगी.
आपकी हर कविता में गेयता की खासियत है, तो मेरी नज़र में कविता या गज़ल के अर्थों के साथ मन में उतरने के लिये एक आसान रास्ता अपने आप ही बन जाता है.
मैं कल मसक्कली सुन रहा था, कोइ शब्दों के आदि से अंत तक का पता नहीं चला. इसलिये ये भी कहना चाहूंगा कि गीत की आत्मा तो उसका कंटेंट ही है, जिसके सिवा पूर्णता नहीं.दोनो मिल कर रसोत्पत्ती के अंतिम चरण तक पहूंचा जा सकता है.
भाई प्रकाश जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रयास.आपके लेखने के लिए सुनहरे भविष्य के प्रति आश्वस्त करता हुआ. भाई दिलीप कवठेकर जी ने जो कहा है,उस पर गम्भीरता से विचार कीजिये.रचना को रसोत्पत्ति के योग्य बनाने के लिए, श्रोता को, पाठक को अपने दिल की अतल गहराइयों से वाकिफ़ करवाने के लिए, मुझे विश्वास है
आप और भी निखर कर सामने आएँगे, और इसके लिए अभी जो आप कह रहे हैं बहुत ज़रूरी है,महत्व का है.
सस्नेह
dwijendradwij.blogspot.com
हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
ReplyDeleteतुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
वाह...वा...अर्श जी ...आपका पहला प्रयास बहुत प्रशशनिय है....परबत एक छलांग में तो लांघे नहीं जा सकते...एक एक कदम उठाना पढता है...चलते रहिये....याने लिखते रहिये...ऐसे ही...शुभकामनाएं.
नीरज
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअब अगली रचना कब पढवाएंगे।
ReplyDeleteबहुत खूब....बहुत सुन्दर गीत है..बधाई !!
ReplyDeleteBAHUT BADIYA LIKHA HAI. EK EK SHABD BAHUT ACCHA HAI. MERI SHUBHKAMNAYE APKE SATH HAI.
ReplyDeletebahut din baad apke blog par aayee hoon hamesha ki tarah sunder rachna hai holi mubarak ho nayee rachna kaa intjaar rahega
ReplyDeleteBhai Arsh ji,
ReplyDeleteGeet ka bhav paksh achchha hai shabda bhi achchhe chune hain lekin chhand vidhan ke anusaar geyata men kuchh kami rah gai hai use sudharane ki jaroorat hai. Vyakaran aur matraaon ka bhi kahin kahin dosh rah gaya hai.
Ise sudharane par ek achchh geet banega. Bahut bahut badhai aur Holi ki shubh kaamnaayen.
Chandrabhan Bhardwaj
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
ReplyDeleteregards
होली के शुभ अवसर पर,
ReplyDeleteउल्लास और उमंग से,
हो आपका दिन रंगीन ...
होली मुबारक !
'शब्द सृजन की ओर' पर पढें- ''भारतीय संस्कृति में होली के विभिन्न रंग''
होली की ढेर सारी शुभकामनायें....
ReplyDeletenice lines.. :)
ReplyDeleteholi ki shubhkamnaye..
ReplyDeleteअर्श जी, आपको होली की सपरिवार शुभकामनाये,,,,,,
ReplyDeleteपर्दा अपने नाम से उठा , आँख लडाई लोगों ने,,,,,बेहद हसान शेर लिख कर आ रहे हैं आप,,,,आपके टेस्ट की दाद देता हूँ,,,,,,
Ars ji aap ki poora blog padha . Accha laga....
ReplyDeleteBus dukh ya hua ki main is blog ko pehle follow kar raha that par ab meri follow list se na jane kahan gum ho gaya?....
..chaliye koi baat nahi der aayad !! Durust aayad !! Phir se aayad !!
:)
aur jahan tak is nazm ka sawal hai 'arsh ji' , ye to aap jante hai ki har ek nazm 'bahut badiya' nahi ho sakti....
kher main sabhi post main alag -alag comment kar raha hoon....
apko purne comments padhne ka mauka mile to nazar zaaror daliyega.
p.s. :Mere blog main aane heto shukriya, isliye nahi ki aapne comment kiya, isliye ki apse phir se jud gaya....
धन्यवाद , होली की आपको बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeletegeet likhne kee shuruvaad hai ye to , bahut achchha likha hai , bhaav samajh mein aate hain | aapke to itne chahne vaale hain , tippnian dekhiye ?
with best wishes
अरे भाई........ऊपर जितनी भी टिप्पणियाँ हैं आई.......वो सब मैंने ही हैं लिखवायीं.....सबके दिलों में घुसकर मैंने ही कलम चलवाई.......अब मेरे पास शब्द नहीं हैं भाई.....क्या खूब करते हो तुम कविताई....मेरे दिल में फैल जाती है....प्रकाश की रोशनाई......!!
ReplyDeletehi......ur blog is full of good stuffs.it is a pleasure to go through ur blog...
ReplyDeleteby the way, which typing tool are u using for typing in Hindi...? recently i was searching for the user friendly Indian language typing tool and found ... " quillpad " do u use the same...?
heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration...!?
expressing our views in our own mother tongue is a great feeling...save, protect,popularize and communicate in our own mother tongue...
try this, www.quillpad.in
Jai..HO....
Beautiful composition!
ReplyDeleteLast stanza bahut bha gaya ...!
Thanks for joining thatCoffee.
My new blog's link is -
http://parastish.blogspot.com/
God bless
RC
मीत हो जाए गीत जीवन में
ReplyDeleteजीत ही जीत मिले जीवन में
अच्छा प्रयास है ,निरन्तरता बनाये रखें
अच्छा प्रयास है. जारी रखें.
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteBhut achi rachna
ReplyDeleteek dam napa tula geet
dhanyabad is geet ke liye
achha geet likha hai apne...
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने !
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने ......
ReplyDeleteएक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।
Awesome poem....
ReplyDeleteagle post ka intzaar hai
ReplyDeleteaapki har rachanaa dimaag men koi na koi halchal jagaa jaati hai --
ReplyDeletedhanywaad aapki is rachanaa ke liye .
हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखो
ReplyDeleteतुम्हे जानते है मेरे नाम से वो
है खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ
मैं आपकी ब्लॉग पर पहली बार आई हूँ, और खुद को धिक्कार रही हूँ...
बहुत खूबसूरत लिखते हैं आप..
Brother really great!
ReplyDeleteKya khub likha hai.
bahut sundar geet likha hai
ReplyDeletearsh bhaiya guddo morning...............
ReplyDeleteor kaise hai pachane.
http://sameerpclab2.blogspot.com/
श्री अर्श जी!
ReplyDeleteआपने इस गीत को ग़ज़ल के अनुसार ढ़ाला है। आपका यह पहला गीत है। इस दृष्टि से आप अपने प्रयास में सफल भी हैं। यूँ तो गीत में सुझाव अनेक हैं परन्तु गीत के दूसरे चरण की ऒर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।
हिंदी गीतों में तुकान्तों का प्रयोग अकारांत इकारांत उकारांत आदि उसी वजन के अनुकूल रखे जाते हैं। यथा -गवांरा, किनारा, उबारा, निहारा, आदि।
इस तरह से उस चरण का एक रूप ऐसा भी हो सकता है-
अभी हो नहीं पायीं खुशियां गवांरा,
अभी कर लिया तुमने मुझसे किनारा,
मैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥
तुम्हें रात दिन ........
आगे फिर कभी...................
सद्भावी--डॉ० डंडा लखनवी
देवी महालक्ष्मी कि कृपा से
ReplyDeleteआपके घर में हमेशा...
उमंग और आनंद कि रौनक हो ..
इस पावन मौके पर आपको...
पावन पर्व दीपावली कि हार्दिक..
सुभ कामनाये....
for more hindi poems and ghazals, please visit http://nicehindipoems.blogspot.com/
ReplyDeletefor more hindi poems and ghazals, please visit http://nicehindipoems.blogspot.com/
ReplyDeleteहै खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥
ReplyDeleteतुम्हे रात दिन .....
तेरे ख्वाब ही अक्सर ....
bahut achchi lagi.....
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
ReplyDeleteबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/
Bahut hi achha hai..
ReplyDelete