चेहरा छुपाए रख्खा है वो देखो नकाब में ।
कातील है फ़रिश्ता है वो देखो नकाब में ॥
कत्ल करता है ऐसे के पता भी ना चले ,
जख्म देता है गहरा है वो देखो नकाब में ॥
हमसे रूठा है ये सितम है या अदा उसकी
जैसा भी है अच्छा है वो देखो नकाब में ॥
नाजुक लबों से उसके मोहब्बत की सदा सुन
जिन्दा हूँ के आया है वो देखो नकाब में ॥
मैं हूँ इस बात पे खामोश तू उसकी सब्र देख
दरिया है वो प्यासा है वो देखो नकाब में ॥
एक बेकली है जो दफ़न है"अर्श"मेरे सीने में
एक खलिश है के तड़पता है वो देखो नकाब में ॥
प्रकाश "अर्श"
३०/१२/२००८
Tuesday, December 30, 2008
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एक बेकली है जो दफ़न है"अर्श"मेरे सीने में
ReplyDeleteएक खलिश है के तड़पता है वो देखो नकाब में ॥
apki tarif ke liye apka kafiya chura raha hoon, Asha hai bura nahi maanaeinge:
kya kya chupa hai jadugar tiri is potli mein,
kitne chereh behroopiya hei,wo dekho nakab mein?