पुरानी रंजिश को हवा दीजे ।
फ़िर वही सूरत दिखा दीजे ॥
आज मजबूर-ऐ हालात दिल है
मर ही जाने का हौसला दीजे ॥
हाथ में चार पैसे है बचे अब
ना कहना चाँद-तारे ला दीजे ॥
मैं ग़लत हूँ मुजरिम हूँ अगर
मुझको फंदे पे लटका दीजे ॥
आखिरी ख्वाहिश भी छुपा लूँगा
आप जल्दी से दफना दीजे ॥
आप ही कन्धा आप ही जनाजा
"अर्श"कब्र का रास्ता दिखा दीजे॥
प्रकाश"अर्श"
०६/०१/२००९
आप =मैं ख़ुद ,
Tuesday, January 6, 2009
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आज मजबूर-ऐ हालात दिल है
ReplyDeleteमर ही जाने का हौसला दीजे ॥
मरने के लिये भी क्या प्रेमिका से हौसला लेंगे यार ???
हाथ में चार पैसे है बचे अब
ReplyDeleteना कहना चाँद-तारे ला दीजे ॥
javed akhatar saab ki nazm yaad aa gayi...
....kaunsi ya ap jante honge ! hai na?
bahut badiya bahut aache se shabdo me jaan dal dete haa aap........
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